दोस्तो जेल(कारागार) के बारे में कुछ न कुछ तो आप जरूर जानते होंगे। जेल एक ऐसा स्थान होता है जहां किसी अपराधी व्यक्ति को कैद करके रखा जाता है, समाज में अशांति न फैले इसके लिए हर देश का अपना एक कानून होता है।जिसके नियम होते हैं।
कानून के नियमों को तोड़ने वाले को अपराधी कहा जाता है। इन अपराधियों को रोकने के लिए राज्य पास,कानून के रखवाले होते हैं जिन्हें कानून का रक्षक, प्रहरी, या पुलिस के नाम से जाना जाता है। ये पुलिस समाज में अशांति फैला रहे, या कानून तोड़ रहे व्यक्तियों को पकड़ती है। फिर 24 घंटे के अंदर न्यायालय( कोर्ट) के सामने पेश करती है। कोर्ट अपराध तय करती है और देखती है,की अपराध किस तरह का है। यदि अपराध मामूली हो तो कोर्ट अपराधी को फैसला होने तक कुछ शर्तो के साथ जमानत दे देती है।
लेकिन यदि अपराध गंभीर या खतरनाक होता है तो कोर्ट अपराधी को न्यायिक हिरासत में ले लेती है। जहां से उसे एक अवधि के लिए जेल भेज दिया जाता है। वहां से जेल की पुलिस उस व्यक्ति को कारागार में ले जाती है।

जेल(कारागार)का इतिहास:–
जेल के इतिहास का कोई सटीक प्रमाण नहीं है जितना पुराना इंसानों के शासन का इतिहास है उतना ही पुराना इतिहास जेल का भी है या कहें जब से राज्य अस्तित्व में आया है तभी से जेल अस्तित्व में है।
पुराने समय में हर कबीले,बस्ती,अथवा राज्य का एक शासक होता था, सभी के अपने अपने नियम थे, उस समय भी अपराधी अपराध करते थे, जिन्हें सजा मिलती थी, शुरू शुरू में सजा हाथों हाथ दी जाती थी, बाद में जो अपराध गंभीर नहीं होते उनके लिए लोगो को कुछ समय के लिए हाथ–पैर बांध कर कैद कर दिया जाता। इसी तरह कुछ अपराध ऐसे होते थे जिनमे ये पता नहीं होता था की वास्तव में इसी अपराधी ने अपराध किया है।
इसके बाद छानबीन यानी ट्रायल चलाया जाता, तब तक अपराधी को कैद करके रखा जाने लगा। इस तरह धीरे धीरे जेल के स्वरूप और आकार में सुधार होने लगे। और आज के कारावास उसी का सुधारात्मक रूप हैं।
लोगों के मन में जेल से जुड़े कई सवाल :–
जेल से जुड़े कई सवाल या मिथ लोगो के मन में रहते हैं ये वो लोग होते हैं जिन्होंने न ही कोई अपराध किया होता है ना ही उन्होंने कभी किसी कारण से जेल विजिट किया होता है।
ऐसे कई सवाल और मिथ आज लोगो के बीच में फैले हुए हैं जैसे
जेल में कैदियों के साथ मारपीट,जेल में खाना अच्छा नहीं मिलना,वहां का एक दिन 12 घंटो का होना
उम्रकैद का मतलब 14 साल होता है आदि।
जेल में कैदियों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है:–

जेल को लेकर बहुत से सवाल लोगो के मन में रहते हैं । जेल में कैदियों को मारा–पीटा नही जाता है, बल्कि अपराधी को कैद करके तथा बाहरी दुनिया और सुविधाओं से वंचित कर दिया जाता है।
बीमार होने पर डॉक्टर द्वारा इलाज किया जाता है गंभीर बीमारों को चेक अप आदि के लिए किसी सरकारी अस्पताल या प्राइवेट अस्पताल तक ले जाया जाता है। इसके अलावा प्रत्येक 14 दिन में कैदियों के कोर्ट के सामने लाया जाता है। यदि किसी कैदी को कोई समस्या है तो वो मजिस्ट्रेट को बता सकता है।
जेल का खाना:–
जेल में समय से खाना मिलता है। खाना जेल में ही कैदियों द्वारा तैयार किया जाता है सुबह नाश्ते में चाय के साथ ब्रेड या अन्य चीज दी जाती हैं, दोपहर का खाना भी वक्त पर दिया जाता है, और शाम को भी वक्त पर खाने में दाल या सब्जी के साथ रोटी और चावल दिए जाते हैं।
अलग अलग जेल का खाना अलग हो सकता है वहा घर जैसा स्वाद तो नही मिल पाता लेकिन कैदियों की न्यूट्रिशंस का ध्यान रखा जाता।इसके अलावा कोर्ट की विशेष अनुमति से कैदी को बाहर का खाना भी दिया जा सकता है 800 gm से ज्यादा का नही हो सकता। हां बिना अनुमति के फल, ककड़ी, जैसी खाने की चीजे कैदियों से मिलने वाले लोगो को ले जाते हुए देखा जाता है।
भारत में प्रत्येक कैदी के खाने पर औसतन 53 रुपया खर्च किया जाता है प्रत्येक राज्य कैदी पर अलग खर्च करती है दिल्ली में लगभग 35 रुपया तो जम्मू कश्मीर में 100 रुपया से अधिक।इसी तरह अलग–अलग राज्यों का खर्च भी अलग–अलग होता है।
जेल प्रशासन :–
हर राज्य की एक जेल होती है, उसका एक जेलर होता है, और वहां सुरक्षा के लिए तैनात राज्य की अलग से पुलिस होती है, जिसकी संख्या काफी कम होती है। जेल में दिनचर्या का काम जैसे खाना बनाना कपड़े धोना, सफाई करना,बाल काटना आदि करने के लिए अलग से स्टाफ नही बल्कि वहां रह रहे कैदी ही इन कामों को करते है।
जेल कैसी होती/जेल के नियम:–
कारागार अथवा जेल वह स्थान होता जहां अपराधियों को रखा जाता है वहां के अपने नियम होते हैं। वहां खाने, से लेकर सोने तक का टाइम टेबल होता है। प्रत्येक जेल में कई बैरक होते है। जिनमे कई–कई कैदी एक साथ रहते हैं हर बैरक का एक हैड बना दिया जाता है जो खुद भी कैदी होता है बैरक के हेड को अलग से कुछ सुविधाएं मिल जाती है, और ये अपने बैरक के कैदियों को अलग अलग काम पर लगाने में जेल प्रशासन की मदद करता है।
एक जेल में कई बैरक होते हैं जहां अलग अलग किस्म के अपराधियों को रखा जाता है जेल में महिलाओं के लिए भी अलग से बैरक होता है। जिन कैदियों को लंबी सजा हो जाती है उनके लिए अलग बैरक होता है, उन्हे एक विशेष प्रकार की ड्रेस भी मिलती है जिन पर उस कैदी का नंबर लिखा होता है।
इसके अलावा कम समय एक,दो या दस,पंद्रह दिन के लिए आए अपराधियों को अलग बैरक में रखा जाता है, इनकी कोई विशेष ड्रेस नही होती है एक ही बैरक में किसी को नहीं रखा जाता समय समय पर बैरक बदल कर रखा जाता है इसकी वजह लड़ाई झगड़ा या ग्रुप न बने होती है।

जेल का एक दिन:–
आम लोगो में ये धारणा होती है कि जेल का एक दिन 12 घंटे का होता है और अगर किसी को एक साल की सजा हुई है तो उसका मतलब 6 माह जेल में गुजरना होता है।पुराने समय में शायद ऐसा हुआ हो लेकिन अब ऐसा नहीं होता। जेल का एक दिन 24 घंटे का ही होता है। अगर अपराधी को जनवरी में 1 साल की सजा हुई है तो इसका मतलब वो दिसंबर में ही बाहर आएगा।
उम्र कैद का मतलब 14 साल:–
लोग समझते हैं कि उम्र कैद का मतलब 14 साल की सजा होती है जबकि ऐसा नहीं है। उम्र कैद का मतलब जब तक वो जियेगा कैद में ही रहेगा होता है।अदालतों ने समय समय पर इसे स्पष्ट किया है।
हां यदि कैदियों का आचरण और व्यवहार अच्छा रहता है तो गुहार लगाने पर राज्य का राज्यपाल या राष्ट्रपति 14 साल के बाद उसे रिहा कर सकता है। इसी तरह बहुत से कैदी 14 साल के बाद छूटे हैं जिससे लोगो में ये बात फेल गई की उम्र कैद का मतलब 14 साल होता है।
जेल में पैसे कहां से आते हैं:–
जो लोग कैदियों से मिलने आते हैं वो कैदियों को कुछ पैसे दे जाते हैं जिससे कैदी जेल में मौजूद कैंटीन से अपने लिए कुछ खरीद लेते हैं, कंटीन में लगभग खाने पीने लेकर कुछ जरूरी समान मिल जाता है।
इसके अलावा जो लोग लंबे समय से जेल काट रहे होते हैं वो वहां कुछ काम कर लेते है, सिलाई, कढ़ाई आदि। ये सामान जेल से बाहर बेचा जाता है जिसके पैसे कैदियों को मिल जाते हैं। और वो जेल में अपनी जरूरत का सामान खरीद लेते हैं।
जेल की करेंसी
ये शायद हैरानी वाली बात है की जेल में भारतीय करेंसी या अन्य किसी भी देश की करेंसी नही चलती है। बल्कि उस करेंसी के बदले जेल में कैदी को कूपन दिया जाता है। ये कूपन पांच दस बीस रुपए का हो सकता है।
इन कूपन से जेल की कैंटीन से समान खरीदा जाता है। कूपन इसलिए चलाया जाता है क्योंकि काफी पहले जेल के पुराने और दबंग कैदी दूसरे कैदियों के पैसे छीन लिया करते थे। बाद में जेल में कूपन चलाया गया और उन कूपन पर कैदी का नाम लिखा होता है, जिस से केवल वही समान खरीद सकता है जिसका उस पर नाम लिखा हो।
जेल में लोगो को समाज और सुख सुविधाओं से वंचित कर दिया जाता है ये इसलिए होता है ताकि अपराधी अपने अपराध पर पछतावा करे। जेल में कितनी भी सुविधाएं मिल जाएं लेकिन आज़ादी से उन सुविधाओं की कोई तुलना नहीं है।