तुर्की देश का नाम तो हम सब ने सुना ही है। लेकिन हाल ही में तुर्की(Turkey) के प्रेसिडेंट रज़ब तय्यब अर्दोआन ने अपने देश का नाम बदलकर तुर्किए(Türkiye)रख दिया है। तुर्की ने इसके लिए संयुक्त राष्ट्र से अनुरोध किया था। जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्वीकार कर लिया गया है।
हालांकि तुर्की ने अपने देश में इसका प्रचार बीते साल से ही शुरू कर दिया था। और देश में इसे खूब प्रचारित भी किया गया था। लेकिन Officially भी अब तुर्की को türkiye नाम से ही जाना जाएगा।
türkiye ही क्यों :–
वैसे तो तुर्की में लोग अपने देश का नाम türkiye ही लेते हैं, वो सदियों से türkiye नाम का ही प्रयोग कर रहे है।साल 2021 के दिसंबर माह में अर्दोआन ने देश का नाम बदलने को लेकर एक आधिकारिक घोषणा की थी।
उनका कहना है कि türkiye उनके देश की संस्कृति, सभ्यता, और मूल्यों को ज्यादा अच्छी तरह प्रदर्शित करता है तुर्क एक जाति है जो तुर्की भाषा का इस्तेमाल करती है। और तुर्की भाषा में turkey को türkiye ही बोला जाता है। ये अलग बात है की अरबी और फारसी में तुर्की जबकि अंग्रेजी में टर्की नाम ज्यादा प्रचलित है।
नाम बदलने की वजह:–
क्योंकि तुर्की भाषा में turkey को türkiye ही बोला जाता है इसलिए प्रेसिडेंट अपनी राष्ट्रीय छवि को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाना चाहते हैं। वो चाहते हैं की अंग्रेजी और अरबी नाम की छवि की जगह दुनिया उनके राष्ट्रीय मूल्यों को ज्यादा महत्व दे।
इसके अलावा रज़ब तय्यब अर्दोआन के सरकारी अधिकारियों ने इसकी कई वजह बताई है, कुछ के मुताबिक तुर्की लोग सदियों से ही तुर्की को परंपरागत रूप से türkiye के नाम से पुकारते हैं। तुर्की नाम को बहुत पहले से ही बदलना चाहते है। एक और मत के अनुसार, तुर्की की खिलाफत जब बिखरी थीं उस समय तुर्की नाम रखा गया था।ये तुर्किश के जवाल का वक्त था जिसे प्रेसिडेंट रज़ब तय्यब अर्दोआन जान बूझकर बदलना चाहते हैं।
सरकारी अधिकारियों की माने तो इसकी एक और बड़ी वजह एक परिंदे का नाम इत्तफ़ाक से turkey (टर्की)है।एक और मुख्य वजह ये है कि तुर्की को अंग्रेजी में टर्की(turkey) पढ़ा जाता है और Cambridge dictionary में turkey शब्द के दो अर्थ दिए गए हैं एक– ” कुछ ऐसा जो बुरी तरह विफल हो गया हो” दूसरा–”मूर्ख व्यक्ति” है।तुर्की के बहुत से लोग इन नामों के meaning को जानबूझकर की गई एक साजिश मानते हैं ।
उनके अनुसार तुर्की की खिलाफत Europe तक फैली हुई थी जिससे Europion अपने ऊपर तुर्की को मुसल्लत देखने लगे, यूरोपियन कभी भी सल्तनत उस्मानिया को पसंद नहीं करते थे । फिर एक वक्त तुर्की की खिलाफत के टूटने का वक्त आया, और खिलाफत बिखर गई।
जिसके बाद जानबूझकर dictionary में मजाक बनाने के उद्देश्य से तुर्की के नाम के ये मतलब दर्ज किए गए। इसलिए भी प्रेसिडेंट रज़ब तय्यब अर्दोआन इस नाम को बदलना चाहते थे। नाम बदलते ही कुछ लोग सोशल मीडिया पर मिली जुली प्रतिक्रिया दे रहे हैं कुछ इस कदम को सही ठहरा रहे हैं जबकि कुछ इसकी निंदा के साथ आलोचना भी कर रहे हैं। खैर जो भी हो अब तुर्की का नाम türkiye हो गया है।
देश का नाम बदलने की क्या प्रक्रिया है :–
कोई भी देश सर्वप्रथम अपने देश के संविधान में नाम बदलता है। तथा अपने देश के नाम को officially अपने देश में प्रमोट करता है। संविधान में नाम बदलने के बाद कुछ अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं जैसे संयुक्त राष्ट्र संघ से नाम बदलने के लिए आग्रह किया जाता है।
ये अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं ये सुनिश्चित करती हैं कि देश का नाम बदलने से कोई प्रतिकूल प्रभाव तो नही आता। सुनिश्चित होने के बाद आग्रह स्वीकार कर लिया जाता है और सुरक्षित कर लिया जाता है। इस प्रकार अब उस देश का नाम बदलकर ऑफिशियली नया नाम हो जाता है।
क्या प्रभाव पड़ते हैं नए नाम से :–
वैसे तो कोई देश जब अपना नाम बदलकर नया रख लेता है तो इससे इस देश के दूसरे देशी से संबंधों पर या व्यापार पर कोई असर नहीं होता। लेकिन कुछ समय के लिए छोटी मोटी दिक्कत होती हैं।
जो देश अपना नाम बदलता है,दूसरे देशों को निर्यात की जाने वाली वस्तुओ पर उसे नया नाम लिखना होता है, पहले से तैयार पैकेट, बॉक्स,आदि बेकार हो जाते हैं, कंटेनर , हवाईजहाज, स्टेडियम आदि पर पेंट कर नया नाम लिख दिया जाता है।
इसके अलावा दूसरे देश से आयात भी होता है। जिस पर देश का पुराना नाम लिखा होता है। उन देशों को भी प्रिंटिंग आदि की खूब समस्या होती है। जो एक प्रकार का नुकसान ही होता है। इसके अलावा तुर्की अब निर्यातक वस्तुओ पर ‘Made in Tükiye‘ की तैयारी कर ली गई है और January 2022 से तुर्की अपने Tourism को नए ब्रांड “Hello türkiye” के नाम से प्रमोट कर रहा है।
पहले भी बदले जा चुके हैं कई देशों के नाम:–
türkiye अपने देश का नाम बदलने बाला कोई पहला राज्य नही है इससे पहले भी बहुत से देशों ने अपना नाम बदला है। जैसे parsia ने अपना नाम बदलकर Iran कर लिया है। आज के निदरलैंड का नाम हॉलैंड हुआ करता था।
ग्रीस के साथ हुए विवाद और राजनीतिक बजहों से मेसेडोनिया का नाम बदला गया जो अब उत्तरी मेसेडोनिया है। इसके अलावा सियाम का नाम बदलकर थाईलैंड किया गया और रोडेशिया अब जिम्बाब्वे हो गया। इस तरह बहुत से देशी ने अपना नाम बदला है और ऑफिशियली दुनिया इन देशों को इनके नए नाम से ही जानती है।
क्या कहते हैं आलोचक:–
सरकार समर्थक तो तुर्की के इस कदम का स्वागत कर रहे हैं जबकि सरकार विरोधी और आलोचक का अलग ही मत है आलोचकों का कहना है कि सरकार का ये कदम लोगो का ध्यान भटकने के सिवा और कुछ नही है।
तुर्की बीते दो दशक में अपने सबसे बुरे आर्थिक दौर से गुजर रहा है। 20 सालो में तुर्की की अर्थव्यवस्था का ये सबसे बुरा दौर है, इसके अलावा Election भी करीब हैं और सरकार इस तरह अपनी इस्लामिक छवि को बनाने के लिए ऐसे कदम उठा रही है।
खैर जो भी हो आलोचक और समर्थक अपनी जगह हैं और वे इसके पक्ष विपक्ष में अपने विचारो से सरकार का समर्थन और विरोध करते रहेंगे लेकिन देखना ये है कि türkiye अपने इस नए नाम के साथ क्या बदलाव लाएगा।
Thanks so much!
Thanks