भारत में तंबाकू कैसे आया। Story of tobacco in India

लगभग 12000 सालो से तंबाकू का उपयोग हो रहा है। शुरू शुरू में लोग इसका उपयोग धार्मिक क्रिया कलाप में किया करते थे।वे लोग इसे अगरबत्ती की तरह जलाकर इसके धुएं के साथ किसी गुफा या बंद जगह में अपने ईश्वर की उपासना किया करते थे,उनका मानना था की तंबाकू ईश्वर का प्रसाद है और इससे ईश्वर खुश होता है, इस धुएं से लोग नशे में चले जाते और अपने आप को भक्ति की गहराइयों में पाते थे। वो इसका उपयोग हर शुभ कार्य के समय किया करते।

साथ ही आज भी कुछ नेटिव अमेरिकन अपने साथ तंबाकू का एक pauch रखते तथा वे इसे शुभ मानते। अमेरिका के पुराने इतिहास में तंबाकू का इतना अधिक धार्मिक महत्व था की इसके बिना उनका कोई भी धार्मिक अनुष्ठान पूरा नहीं हो सकता था।

तंबाकू शब्द क्या क्या मतलब है :–

आज के तंबाकू शब्द की उत्पत्ति स्पेनिश भाषा के “टैबाको” शब्द से हुई है , इत्तेफ़ाक से स्पेनिश, पुर्तगाली और इतालवी में एक जैसे शब्द 1410 से कुछ औषधीय जड़ी बूटियों के लिए इस्तेमाल किए जाते रहे हैं। 

लेकिन सबसे पहले इस शब्द का इस्तेमाल अरबी भाषा में मिलता है ओषधीय जड़ी बूटी के लिए अरबी में Tubbaq ( طباق ubāq) शब्द का इस्तेमाल किया जाता था जिसका 9 वी सदी से पहले भी इस्तेमाल माना जाता है। इससे जुड़ा एक पुराना जो ईसवी से पूर्व का वाक्या भी है।

जिसे लोगो द्वारा “लुकमान हकीम” से जोड़कर देखा जाता है “लुकमान हकीम” का नाम तो आप सभी जानते होंगे उनसे जड़ी बूटियां बात किया करती थीं। इसी प्रकार हजरत “हकीम लुकमान” को तंबाकू के पौधे से ज्ञात हुआ कि वो क्या है और इसका इस्तेमाल कैसे किया जाना है। और किस बीमारी में इसका उपयोग किया जाता है। इस तरह तंबाकू शब्द का अरब मे ईसा से भी पूर्व का उपयोग बताया जाता है

तंबाकू का संक्षिप्त इतिहास:–

खुदाई और अन्य जानकारियों से ये पता चला है कि तंबाकू का सबसे पहले उपयोग नॉर्थ और सेंट्रल अमेरिका में लगभग 12000 साल पहले हो चुका था,सल्लतानते उस्मानिया(The Ottoman Empire)जब यूरोप पर धीरे धीरे साम्राज्य का बिस्तर कर रही थी तो यूरोप के लोगो को लगा की अपने लिए किसी और जगह की तलाश करनी चाहिए।

बहुत से यूरोपियन पानी के जहाजों से नई जमीन की तलाश में निकले। इन्हे में से एक था कोलंबस। कोलंबस नई जमीन की तलाश में समुद्री यात्रा करते हुए साल 1492 को अमेरिका ले तट पर पहुंचा तो उसने सबसे पहले वहां के मूल निवासियों को तंबाकू का इस्तेमाल करते हुए देखा।

वहां से लूटमार करने के बाद कोलंबस ने सोने के साथ तंबाकू को भी जहाजों पर लादा और यूरोप भेज दिया। उस समय इसका इस्तेमाल दांत के दर्द और चोटों के इलाज के लिया किया जाता था। यूरोप वालो को लगा की तंबाकू हर चीज का इलाज कर सकता है इसलिए लोग इसे जल्द ही वाकिफ हो गए।

भारत में कैसे आया तंबाकू :–

माना जाता है है की तंबाकू भारत में सबसे पहले ले जाने वाले पुर्तगाली थे। इतिहास के माने तो सबसे पहले तंबाकू की खेती का जिक्र दक्षिण भारत में सन 1604–05 में मिलता है ईस्ट इंडिया कंपनी के एक एजेंट जो उस समय बीजापुर सल्तनत का महमान हुआ करता था।

उसके अनुसार 17 बीं सदी के शुरू में ही भारत में तंबाकू की खेती की शुरुआत हो चुकी थी, कोरोमंडल cost में हुई खेती ने शुरुआत के कुछ ही सालों में व्यापक रूप ले लिया।1922 आते आते लोकल से लेकर बर्मा तक इसका निर्यात होने लगा।

17 बीं शादी के शुरू में ही गुजरात के सूरत में भी इसका जिक्र मिलता है। एक अंग्रेज ने 1669 ईसवी में भारत में तंबाकू के उपयोग का ब्योरा दिया है उसने लिखा है की “उत्तर भारत में फकीरों को बाकी सामान के साथ तंबाकू भी दिया जाता है”।

बादशाह औरंगजेब के समय तंबाकू टैक्स का एक बड़ा जरिया बन गया था। इतिहासकारों के अनुसार सिर्फ दिल्ली से रोज 5000 रुपया टैक्स उस समय सिर्फ तंबाकू से मिल जाया करता था।

फिर पूरे मुगल भारत से आने वाले टैक्स का अंदाजा लगाया जा सकता है।पुर्तगालियों के बाद अंग्रेज इस व्यापार से जुड़ गए। और इन दोनो ने मिलकर तंबाकू का खूब व्यापार किया और दुनिया के कोने कोने तक तंबाकू पहुंचा दिया।

प्रथम बार भारत में तंबाकू का वाकया:–

भारत में तंबाकू का इतिहास 400 साल से पुराना नहीं है। शुरू से शुरू करते हैं, दिलचस्प कहानी है शहंशाह अकबर का दरबार सजा था, अकबर दरबार में आए तो सभी दरबारी अदब के साथ खड़े हो गए।

लेकिन अकबर की तबियत कुछ नासाज़ थी । हकीमों ने अकबर को आराम करने की नसीहत दे रखी थी लेकिन अकबर को दरबार लगाना अच्छा लगता था। इसीलिए अकबर ने दरबार लगा रखा था। इतने में मिर्जा असदबेग, बीजापुर से एक शानदार खबर लेकर आए जिससे अकबर खुश हो गए।

ये वो पल था जहां से भारत में तंबाकू की शुरुआत हुई। हुआ यूँ कि बीजापुर सल्तनत में शहजादे दानियाल और आदिलशाह की बेटी का रिश्ता तय हुआ था। असदबेग मामला तय कराकर बादशाह के लिए बीजापुर से मिले तोहफे लेकर आए। बादशाह के सामने तोहफे खोलने शुरू किए गए बहुत सारा माल़ सोने और चांदी की तश्तरियों(plates) में सजा धजाकर रखा गया था।

खूबसूरत मखमल से लपेटा गया था। बादशाह उस माल का मुआयना कर रहे थे की इतने में उनके सामने चांदी की एक छोटी तश्तरी पेश की गई जिसे खोलने का हुक्म हुआ।

बड़ी ही खूबसूरत चांदी की तश्तरी थी, जिसमे एक सोने की कलम लगी थी, और साथ ही एक नली (ट्यूब) जुड़ी थी जिस पर चांदी का तार लगा था,और मखमल के कीमती कपड़े से लिपटी हुई थी। और उसमे मसाले जैसा थोड़ा सा कुछ रखा हुआ था। अकबर ने पूछा ये क्या है? असद ने बताया हुजूर ये तंबाकू है। हिंदुस्तान में अभी इसे लोग नही जानते।

अरब के लगभग सभी लोग इससे वाकिफ हैं। और यूरोप में भी इसका खूब इस्तेमाल करते हैं। अकबर ने इसे शुरू करने का हुक्म दिया। ये दरअसल हुक्का था जिसे सुलगाया गया।

अकबर ने इसके दो कश लिए और दरबार में लोगो की तरफ देखा। खैर इसके बाद अकबर ने फिर कभी तंबाकू का इस्तेमाल नहीं किया। अब लोगो को इस नई चीज के बारे में पता चल चुका था।दौर जहांगीर का था।अब तंबाकू का इस्तेमाल भी होने लगा था।

अगले 10 साल तक इसका इस्तेमाल इस कदर होने लगा की जहांगीर को खास तौर पर तंबाकू को बैन करना पड़ा। बाद में भी इसका इस्तेमाल जारी रहा।



तंबाकू को बैन क्यों नही कर दिया जाता:–

सबसे पहले दुनिया में तंबाकू को बैन करने वाले इंसान सल्तानते उस्मानिया(Ottoman Empire) के सुल्तान थे। इसके बाद चीन के राजा और फिर कई जगह बैन किया गया।

भारत में सबसे पहले बादशाह जहांगीर द्वारा तंबाकू बैन किया गया था। तंबाकू आज पूरी दुनिया में इस्तेमाल होता है। सबसे ज्यादा सिगरेट और सिगार में इसका इस्तेमाल किया जाता है, तंबाकू उत्पाद बनाने वाली कंपनियों पर सरकार टैक्स लगती है जिससे सरकार के खजाने में इजाफा होता है। एक तरफ कई वर्षो से सरकार तंबाकू से होने वाले नुकसान के बारे में लोगो को जागरूक करती आ रही है है।

तथा समय समय पर इस पर लगने बाला टैक्स भी बढ़ाया जाता रहा है जिससे लोग इसका कम इस्तेमाल करें। दूसरी तरफ सरकार इससे राजस्व की वसूली करती है। एक शोध में कुछ आंकड़े पेश किए गए हैं।

जिसमे बताया गया है की सरकार जितना टैक्स तंबाकू उत्पादों से कमाती है उससे कहीं ज्यादा तंबाकू से होने वाली बीमारियों और विज्ञापनों में खर्च कर देती है। अर्थात इससे होने वाली इनकम दूसरे टैक्स की इनकम को भी खा जाती है। ऐसा लगता है या तो सरकार तक ये आंकड़े पहुंचे ही नही हैं। या सरकार इन आंकड़ों को समझना ही नहीं चाहती हैं।



तंबाकू पैदा कैसे होता है :–

तंबाकू एक प्रकार के पौधे से ही पैदा होता है जैसे अन्य फसलें उगाई जाती हैं वैसे ही तंबाकू की खेती भी की जाती है तंबाकू की लगभग “70 प्रजातियां” की जानकारी मिलती हैं लेकिन सबसे ज्यादा उपयोग में लाई जाने वाली मुख्य व्यवसायिक प्रजाति “एन.तैबैकम” है इसकी पत्तियां सुखा कर ही सीधा उपयोग में लिए जाने योग्य होती हैं

तंबाकू की लत क्यों लगती है:–

तम्बाकू में नशे की लत लगाने के लिए उत्तेजक अल्कलॉइड निकोटीन के साथ-साथ हरमाला अल्कलॉइड भी जिम्मेदार होता है जो नर्बस सिस्टम पर असर डालता है।

शुरू में व्यक्ति मजे के रूप में या साथियों के कहने पर शोक में ले लेता है। लेकिन बाद में इसकी आदत होने लगती है फिर एक समय ऐसा भी आता है जब ये छूटना मुश्किल हो जाता है। व्यक्ति इसके नुकसान जानकर भी इसे छोड़ते में नाकाम हो जाता है। इस तरह शुरू का मजा बाद की सजा बन जाती है।

तंबाकू के इस्तेमाल:–

संछेप में बताते चलें कि दुनियां में तंबाकू का अलग अलग तरह से इस्तेमाल हुआ है। जो लोग नशा करना चाहते लेकिन शराब से दूर रहना चाहते वो तंबाकू लेने लगे। कुछ लोग इसे स्ट्रेस दूर करने के लिए शुरू कर देते।

शुरू में इसे लोग दवा के रूप में इस्तेमाल किया करते थे। इसका इस्तेमाल दर्द निवारक के रूप में तथा चोट के दर्द के निवारक के रूप में भी होता था। बाद में लोगों ने हुक्के का इजाद किया, जो दुनिया में काफी प्रचलित हुआ। अब तंबाकू हुक्के के साथ इस्तेमाल होने लगा।

भारत में अंग्रेज सिगरेट के रूप में इसका इस्तेमाल करते, जिसे देखकर भारतीयों ने कई अलग अलग पत्तियों में भरकर इसका इस्तेमाल शुरू कर दिया, जिसे नाम दिया गया बीड़ी, बाद में पान के पत्ते और सुपारी के साथ इसका चलन बड़ने लगा ।इसके बाद लोग इसे खैनी के रूप में भी इस्तेमाल करने लगे।आज तंबाकू हुक्का,पान,बीड़ी,सिगरेट,गुटका,चिलम आदि के साथ में इस्तेमाल किया जाता है।

तंबाकू के नुकसान:–

एक वक्त ऐसा भी था जब लोग तंबाकू का इस्तेमाल बिना ये सोचे किया करते थे की इससे कोई नुकसान भी होता है, लोग धड़ल्ले से ट्रेन, बस, हबाईजहाज़ तक में तबाकू ले जा सकते थे और इसका इस्तेमाल भी खूब करते थे।

आज तंबाकू से होने वाली गंभीर समस्याओं को लगभग सभी लोग जानते हैं यहां तक कि इससे जानलेवा बीमारी तक हो जाती है। फिर भी न तो लोग इसे छोड़ते हैं न ही हुकूमत इस पर बैन लगा पाती है।

इसके अलावा पैसे का भी नुकसान होता है केवल भारत में तंबाकू उत्पादों पर करोड़ों रुपए के तंबाकू उत्पादों का उपयोग किया जाता है। जिन खेतों में लोग तंबाकू उगाते हैं उनमें कभी खाने के लिए फसलें होती थीं, लोग जिस पैसे का उपयोग तंबाकू उत्पादों को खरीदने में करते हैं वो बेकार जाते हैं।

WHO (विश्व स्वस्थ संगठन)

20 वीं सदी आते आते लोगो के इसके नुकसान ज्ञात होने लगे। जिस पर WHO द्वारा कई शोध और आंकड़े पेश किए गए। समय समय पर तंबाकू से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूकता फैलाई गई। और आखिर साल 1987 में 31 मई को वर्ल्ड नो तंबाकू डे(World No Tobacco day) घोषित किया गया।

इस तरह लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से आज भी हर साल 31 मई को वर्ल्ड नो तंबाकू डे(World No Tobacco day) के रूप में मनाया जाता है। ताकि लोग इस बुरी लत को छोड़ सकें।

 

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